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heeralal paras
yuva kavi
शनिवार, 15 नवंबर 2008
जाने पहचाने चेहरे
वही
न थे
वर्षों बाद
में अपने
गाँव लौटा
पगडण्डी वही थी
गलियां वही थी
खपरैल की मडैया वही थी
परन्तु
वही लोग
वही होते हुए भी
वही न थे
-हीरालाल परस
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